Monday, July 3, 2017

दृष्टि- तीसरी नज़र

जब हम digital India के बारे में बात करते हैं तो बहुत सारी चीज़ें याद आती हैं।एक विशाल India जहां सब एक दूसरे के साथ बहुत व्यस्त हैं । आप सही समझ रहे हैं , मैं उसी media की बात कर रही हूं, जो बहुत social है। वैसे मैं digital India के खिलाफ नहीं हूं। ये हमें वो पंख देते हैं, जिनसे हम बिना उड़े, पूरी दुनिया की सैर कर आते हैं। ना जाने कितने ही मष्तिष्क रूपी नगरों में घुमक्कड़ विचारों से मुलाकात हो जाती है, और यूँ ही जान पहचान सी बन जाती है।
लेकिन अगर हम बात करें प्राचीन समय की तो……माफ करियेगा, प्राचीन इसलिए बोला क्योंकि आज से10-15 साल पीछे देखा जाए तो, एक जमाना गुज़रा हुआ ही लगता है। उस वक्त digital के नाम पर सिर्फ एक ही नाम याद आता था। जिसे camera कहते थे।
Camra एक ऐसा यंत्र, जो कुछ पलों के लिए जैसे हमारी जिंदगी रोक देता और उन पलों को खुद में कैद करलेता।  ऐसे नैना जो एक मामूली सी जगह को खास बना देते।
ये एक ऐसी दृष्टि है जो वो दिखा देती है जो खुली आँखों से नहीं देखा जा सकता। यूँ तो सामने से कितने ही नज़ारे गुज़र जाते हैं। लेकिन कुछ अलग हो जाते हैं जब इस तीसरी नज़र के कैद में आते हैं।। भीड़ में चलता एक आम चेहरा अचानक से आकर्षण का केंद्र बन जाता है।
अब देखिए ना…..वैसे तो सड़क पर बहुत सारे ऐसे बच्चे मिलते हैं जिनको देख कर उनकी साधनहीन जिंदगी का एहसास होता है। लेकिन कम ही हमारा ध्यान उधर जाता है….जैसे ये सब देखना भी हमारी जिंदगी का एक हिस्सा ही है, लेकिन जब ये तीसरी नज़र के कैद में आता है, अचानक से खास बन जाता है…..उसकी आँखों का खाली पन, मनमौजी, मस्तमौला जिंदगी, बेफिक्र ख्याल और उनमें लाखों सवाल जैसे पूछ रहे हों कि…..हम क्या तीसरी दुनिया के प्राणी है जो हमारी तस्वीर ले रहे हो… ये सब कुछ ही पल में हमारे मन में उतर जाता है।
कुछ दिन पहले ही मेरी नज़र ऐसी ही एक तस्वीर पर पड़ी, जिसमें एक बुजुर्ग अपने घर के बाहर बैठे, सड़क पर दौड़ती गाड़ियों को ऐसे देख रहे हैं जैसे वो उन्हें उनकी रुकी हुई जिंदगी का एहसास करा रही हों। उनकी खाली आँखे अपने होने का मकसद पूछ रहीं हों। अपना वजूद तलाश रहीं हो। जैसे सड़क पर दौड़ती भागती जिंदगी से कह रहें हों…………..
एक दिन ठहर जाओगे तुम भी मेरी तरह, मैंने भी बहुत दौड़ लगाई है एक जमाने में…….
अज़ीब सी ताकत है इस तीसरी नज़र में, जिंदगी का एक पल pause करती है और उस पल के नाजाने कितनी ही कहानियां बन जाती है
काश हमारे पास भी होती वो तीसरी नज़र और हम समझ पाते किसी के आंसुओं में छिपी खुशी, मुस्कान में छिपा एक एहसास, शोर में छिपी खामोशी, । हम कैद कर पाते हर पल और जान पाते कि हर पल कितना खास है। हम समझ पाते कि कितने ही छोटे छोटे पल हमने पीछे छोड़ दिये जो बहुत खास थे, जान पाते उन बातों की गहराई जो मामूली सी लगती थीं। हर वो खुशी जो छोटी सी लगती थी……..काश मेरे पास होती वो तीसरी नज़र, जिससे मैं देख पाती ऊंची उड़ती पतंग की ऊंचाई, जो वहां से भी मुस्कुराकर नीचे देखती है। सुखी जमीन पर निकला एक अकेला फूल, सूखे उजड़े पेड़ पर कुछ हरी पत्तियां, साथ खेलते बच्चे, …….काश खुली आँखों से देख पाते कि हर पल , हर शख्स हर नज़ारा खुद में कुछ खास है।बस हमें देखने के लिए वो नज़र चाहिए जिससे हम भी filter कर पाए अच्छाइयों को जैसे ये तीसरी नज़र करती है।

Thursday, May 11, 2017

How would you chase happiness

Happiness is not a specific moment. Lot of people chase happiness . They try to find  moment to be happy. Like they are waiting that If it hapend I will be happy . But when that moment come at their life they again say that I am ok with that but it is not like as I planned.

                         If I ask you that what makes you happy then you will start with a long list. As- if I get a lot of time to sleep then i will be happy. OR if I get a long holiday at abroad , then Iwill be happy.

                              But question is , What really make us happy?  and  Is it permanent.........

                                      Answer is -   NO... 

 THERE IS NOTHING WHICH CAN MAKE US HAPPY PERMANENTLLY

                                Then what is needed for being happy every moment

 To explain well , I would like to share my life experience here
4 years ago i join a company as an consultant trainer. I was happy with that . one day one of my senior suggest me to go for permanent job. my friends and my family also suggest  me same. well i start my journey with new dream and after some tries I got one at my city.I was feeling very good and flying almost in sky. Like everyone one I was feeling dreams come true and decide to touch high. I was filled with new energy and enjoying my job. I thought that now journey has been started and now I will be more happy. But after sometime I felt that it has occupied my all time. As now I didn't have time for my family and for me. It make me depressed that now I can't do what I love to do.
Well life was going on. But suddenly I lost my job.I was searching for new but incidentally I come in contact with my family doctor as my son was becoming ill frequently. He suggested to be with him as he was feeling alonenesss. So I quite working life and paid full attention to my son . But still I was not happy. I was feeling unlucky myself. 
      Days were passing like that. Suddenly I happened to meet my old friend and told her everything that how sad I was.
   She was surprised and remind me that how kind of person I was. She told me that happiness is not a specific moment. Just accept your present and do preparation about your future. You will become happy automatically.
  After her left, I sat alone and think, yes she was right . I used to be happy every moment but now I have lost me and my self. I reminded that when I was in job I was not happy also, and wishing for time for me and family. Now I have a time but still I am not happy
   Friends I found the reason and sharing here with you all. I was used to be happy every moment , because I never set any parameters for being happy. I used to accept every moment as whatever is going on, is great....Wow... Today I experienced something new. I never took burden of any change and it made me more strong and bold. 
     Friends actually problem is that we ever try to reject our present and wish to live our future presently. We forget that whatever we are doing now it will decide our future. So make sure , you are not waisting your present in worrying for future. 
       Remember .....We become sad when we become unsatisfied and assume self useless.

Just accept your present and do your 100%towards your dream. Don't compair yourself then other's. Your are not there but you will be more ahead then other's. They have done also their efforts . Now this your turn to create new path and new destination to be followed by other's. 
I have learned with my experience that everyone has a different road to get their dream. You are different one and you are supposed to get different. So enjoy your all of surroundings, friends family and near dear as they help you support you, not necessary at your way, they can support you by another way , as sometimes critic also motivate us.

Enjoy with everyone but be with your self 


Thursday, March 23, 2017

My rough copy

आज एक मित्र ने एक संदेश भेजा जिसमें स्कूल के समय में प्रयोग में आने वाली rough copy का जिक्र था। सारी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी। तो सोचा इस खजाने में से कुछ मोती आप सब के साथ भी बाटें जाये।
        वैसे आज का blog मैं हिंदी में लिख रही हूँ। क्यूंकि जिस समय की बातें हम कर रहे हैं, उस समय थोड़ी सी english और कुछ ज्यादा सी hindi होती थी। जिसका इस्तेमाल हम आज तभी करते हैं, जब हमें अपने गुणवान होने का सबूत नहीं देना होता।
         लेकिन उस समय हम सबको गर्व से बताते थे, कि 'हिंदी' हमारी मातृभाषा है।तब हमारे संवाद का माध्यम भी हिंदी ही हुआ करता था।
        इसके अलावा एक और भाषा का प्रयोग जोर शोर पर होता था। चित्रण भाषा । चित्रों के माध्यम से अपने मन की भावना की अभिव्यक्ति । जो एक विशेष प्रकार की copy में हुआ करता था , जिसे हम rough copy कहते थे।
                rough copy सुनते ही आपके मस्तिष्क में एक मोटे से register की आकृति उभरी होगी। जिसके page साँवले होते थे। लेकिन उन साँवले pages पर हमारा मन साफ साफ झलकता था। वो copy तो rough होती थी, लेकिन उस पर हम सब कुछ fair लिखते थे। किस teacher को किस नज़र से देखते हैं, इसका पता उस rough copy के किसी न किसी page से चल ही जाता था। उनकी शक्ल जो बनाते थे...अच्छी सी.......।
              आज कितना मुश्किल है किसी को जान पाना । किसी का मन पढ़ पाना । लेकिन तब वो rough copy सारे राज़ खोल देती थी। उसमें बने वो सफ़ेद चंचल पानी के झरने, जो नीचे गिरते ही नदी बन जाते थे। वो हमारी आकांक्षाओं से ऊँचे पर्वत, जिन्हें चीर कर सूरज उगाते थे......नदी के किनारे छोटा सा घास का मैदान........जहाँ सुकून के पल ऐसे ही बीत जाते थे। उस नदी में एक नाव भी होती थी जो हमे पार उतारती थी....हमारी मंज़िल तक पहुंचाती थी। मैदान में एक पेड़ होता था.....जो पहाड़ो से भी ऊँचा होता था....जिसमें हमारी पसंद की आकृति की पत्तियां, फूल और फल होते थे। उस पेड़ के नीचे महलों से बढ़ी एक झोपड़ी .....जिसमे हम रहा करते।
           कुछ पिछले पन्नों को सिर्फ अपने लिए छोड़ना। उसमें चुपके से दोस्तों की खटपट लिखना, तरह तरह से अपना नाम लिखना और सबसे सुंदर लिखावट को ढूंढना। project के नाम पर कई रंगों के pens लेना उस rough जैसी copy में beautiful सी rangoli बनाना । दोस्ती ki कसमें , जिंदगी की ख्वाइशें , सारे लड़ाई झगड़े एक ही line में लिखना।
          बहुत ही fair थी वो rough copy, मेरा आइना थी। एक ही page में न जाने कितनी कहानियां थीं। दिल के करीब, सबसे अज़ीज़, और सबसे कीमती, शायद इसीलिये rough थी। क्यूंकि अगर साफ़ सुथरी चमकदार होती तो कहाँ उकेर पाते हम खुद को इस तरह.....। न जाने कितने ही चेहरे, कितनी कहानियां, कितनी कविताएं और कितने ही पल खुद में समेटे हुए थी मेरी rough copy। जिसमे लिखने का कोई सलीका नहीं होता। कोई भी शब्द line पर नहीं होता। और ना ही शब्दों का कोई आकार होता।

             लगता है जैसे जिंदगी की बारीकियां सिखा रही थी। खुद का कोई रंग नहीं पर मुझे हर रंग से मिलवा रही थी
     
        काश आज भी मेरे पास होती कोई rough copy, जो जानती मुझे, जैसी मैं हूँ। जो मेरा आइना बन जाती, मुझे मुझसे मिलाती। जिसमें मैं कई बार मुरझाती और कई बार खिलखिलाती, वो झरने ,वो नदी, वो झोपड़ी फिर से ढूंढ़ लाती.......लेकिन आज मैं उसे किसी से नहीं छुपाती...... सबको बताती और समझाती कि........फिर से चाहिए हमें 

        वो प्यारी सी हमारी सी fair सी rough copy

Wednesday, March 8, 2017

Precious Stone for Strong Bridge

               " Some relations are like birds of a feather flock together and some need to build bridge"

We all have many kinds of relations, like friends, spouse, children, colleagues, parents, neighbors, relatives etc. Every relation has different flavor and decorated with different kind of emotions,like love, responsibility, trust, honesty, loyalty,care and lot of....
Some relations have all flavours but not exist for long . When I took a deep round , I found that one precious stone was missing to build this bridge strong. This is respect to each other. 
We ever take this word as how to talk each other. But a friend never talk in manner with us . Respect doesn't mean how we treat each other infact it means how we accept each other and how we react to each other.
If I try to say in very simple words then I would like to say that respect "The self respect" of others.
Just embrace other's feelings, emotions, thoughts, vision, believes , religions, their perception towards their life.
When we hurt someone , is like a broken mirror into some pieces ,still we have chance to pick a piece and use this like a mirror and we can decorate it by sone efforts. But when we hurt someone's self respect , it seems , a crushed mirror which have smallest pieces, now we can't use it again by any effort.
Every relation is beautiful, it depends on us how we design it. Every relation need their respected space . So respect each other and live happily

Tuesday, February 14, 2017

No chance to lose

Whatever we do in our life is investment. Sometimes we do things with or without reason.somtime we get results as we expect, but sometimes we get only satisfactory result or may be not satisfactory.                        But there is nothing which happens in our life without any reason or any result. Friends whatever happens in our life , we get something too. Sometimes we get happiness, we get lesson , we come out from any situation, we get solutions or sometimes we get our skills more effective , and sharped. Sometime we feel new and different potential to creat new story page of out life.
We never know what comes us and how and why. But It gives us certainly. Some incidents change our views, our perception regarding our life or any entity.
Ever enjoy what comes to you . Accept the challenges of life because there is no chance to lose infact you will get somthing.
So ever give your 100% efforts to your life ,your job and let them make you feel more confident and more joyful and more creative.
Live life, live situations ,live learnings
  

Wednesday, February 8, 2017

How to accept others

Today I was walking in a garden and notice that the main attraction was there , different kind of flowers . Everything was different like their colours, sizes, fragrances, infact their lives also. As a point I thought why these are different. Yes because they grow from different kinds of seeds , infact their quantity of food, their need of atmosphere and their timing to grow is also different. But they never criticize each other, never instruct each other and never teach each other how to grow , infact they never question each other that why you are not like me . They grow in their own way . Infact make a garden beautiful together . They could do such things because they accept each other as they are , and they know how to keep themselves unique as they are . There is a lot of lessons to learn at nature . Just love yourself and love others. Be a companion ,not a owner of any one ,

Monday, January 23, 2017

Be positive

A famous writer was in his study room. He picked up his pen and started writing :

Last year, I had a surgery and my gall bladder was removed. I had to stay stuck to the bed due to this surgery for a long time.

The same year I reached the age of 60 years and had to give up my favourite job. I had spent 30 years of my life in this publishing company.

The same year I experienced the sorrow of the death of my father.

And in the same year my son failed in his medical exam because he had a car accident. He had to stay in bed at hospital with the cast on for several days. The destruction of car was another loss.

At the end he wrote: Alas! It was such bad year !!

When the writer's wife entered the room, she found her husband looking sad & lost in his thoughts. From behind his back she read what was written on the paper. She left the room silently and came back with another paper and placed it on side of her husband's writing.

When the writer saw this paper, he found his name written on it with following lines :

Last year I finally got rid of my gall bladder due to which I had spent years in pain....

I turned 60 with sound health and got retired from my job. Now I can utilize my time to write something better with more focus and peace.....

The same year my father, at the age of 95, without depending on anyone or without any critical condition met his Creator.....

 The same year, God blessed my son with a new life. My car was destroyed but my son stayed alive without getting any disability......

At the end she wrote:

This year was an immense blessing of God and it passed well.

The writer was indeed happy and amazed at such beautiful and encouraging interpretation of the happenings in his life in that year.

Moral :
In daily lives we must see that its not happiness that makes us grateful but grate-fulness that makes us happy.

To all my lovely friends ....

Think positive
Be happy...
Stay Blessed