Thursday, March 23, 2017

My rough copy

आज एक मित्र ने एक संदेश भेजा जिसमें स्कूल के समय में प्रयोग में आने वाली rough copy का जिक्र था। सारी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी। तो सोचा इस खजाने में से कुछ मोती आप सब के साथ भी बाटें जाये।
        वैसे आज का blog मैं हिंदी में लिख रही हूँ। क्यूंकि जिस समय की बातें हम कर रहे हैं, उस समय थोड़ी सी english और कुछ ज्यादा सी hindi होती थी। जिसका इस्तेमाल हम आज तभी करते हैं, जब हमें अपने गुणवान होने का सबूत नहीं देना होता।
         लेकिन उस समय हम सबको गर्व से बताते थे, कि 'हिंदी' हमारी मातृभाषा है।तब हमारे संवाद का माध्यम भी हिंदी ही हुआ करता था।
        इसके अलावा एक और भाषा का प्रयोग जोर शोर पर होता था। चित्रण भाषा । चित्रों के माध्यम से अपने मन की भावना की अभिव्यक्ति । जो एक विशेष प्रकार की copy में हुआ करता था , जिसे हम rough copy कहते थे।
                rough copy सुनते ही आपके मस्तिष्क में एक मोटे से register की आकृति उभरी होगी। जिसके page साँवले होते थे। लेकिन उन साँवले pages पर हमारा मन साफ साफ झलकता था। वो copy तो rough होती थी, लेकिन उस पर हम सब कुछ fair लिखते थे। किस teacher को किस नज़र से देखते हैं, इसका पता उस rough copy के किसी न किसी page से चल ही जाता था। उनकी शक्ल जो बनाते थे...अच्छी सी.......।
              आज कितना मुश्किल है किसी को जान पाना । किसी का मन पढ़ पाना । लेकिन तब वो rough copy सारे राज़ खोल देती थी। उसमें बने वो सफ़ेद चंचल पानी के झरने, जो नीचे गिरते ही नदी बन जाते थे। वो हमारी आकांक्षाओं से ऊँचे पर्वत, जिन्हें चीर कर सूरज उगाते थे......नदी के किनारे छोटा सा घास का मैदान........जहाँ सुकून के पल ऐसे ही बीत जाते थे। उस नदी में एक नाव भी होती थी जो हमे पार उतारती थी....हमारी मंज़िल तक पहुंचाती थी। मैदान में एक पेड़ होता था.....जो पहाड़ो से भी ऊँचा होता था....जिसमें हमारी पसंद की आकृति की पत्तियां, फूल और फल होते थे। उस पेड़ के नीचे महलों से बढ़ी एक झोपड़ी .....जिसमे हम रहा करते।
           कुछ पिछले पन्नों को सिर्फ अपने लिए छोड़ना। उसमें चुपके से दोस्तों की खटपट लिखना, तरह तरह से अपना नाम लिखना और सबसे सुंदर लिखावट को ढूंढना। project के नाम पर कई रंगों के pens लेना उस rough जैसी copy में beautiful सी rangoli बनाना । दोस्ती ki कसमें , जिंदगी की ख्वाइशें , सारे लड़ाई झगड़े एक ही line में लिखना।
          बहुत ही fair थी वो rough copy, मेरा आइना थी। एक ही page में न जाने कितनी कहानियां थीं। दिल के करीब, सबसे अज़ीज़, और सबसे कीमती, शायद इसीलिये rough थी। क्यूंकि अगर साफ़ सुथरी चमकदार होती तो कहाँ उकेर पाते हम खुद को इस तरह.....। न जाने कितने ही चेहरे, कितनी कहानियां, कितनी कविताएं और कितने ही पल खुद में समेटे हुए थी मेरी rough copy। जिसमे लिखने का कोई सलीका नहीं होता। कोई भी शब्द line पर नहीं होता। और ना ही शब्दों का कोई आकार होता।

             लगता है जैसे जिंदगी की बारीकियां सिखा रही थी। खुद का कोई रंग नहीं पर मुझे हर रंग से मिलवा रही थी
     
        काश आज भी मेरे पास होती कोई rough copy, जो जानती मुझे, जैसी मैं हूँ। जो मेरा आइना बन जाती, मुझे मुझसे मिलाती। जिसमें मैं कई बार मुरझाती और कई बार खिलखिलाती, वो झरने ,वो नदी, वो झोपड़ी फिर से ढूंढ़ लाती.......लेकिन आज मैं उसे किसी से नहीं छुपाती...... सबको बताती और समझाती कि........फिर से चाहिए हमें 

        वो प्यारी सी हमारी सी fair सी rough copy

Wednesday, March 8, 2017

Precious Stone for Strong Bridge

               " Some relations are like birds of a feather flock together and some need to build bridge"

We all have many kinds of relations, like friends, spouse, children, colleagues, parents, neighbors, relatives etc. Every relation has different flavor and decorated with different kind of emotions,like love, responsibility, trust, honesty, loyalty,care and lot of....
Some relations have all flavours but not exist for long . When I took a deep round , I found that one precious stone was missing to build this bridge strong. This is respect to each other. 
We ever take this word as how to talk each other. But a friend never talk in manner with us . Respect doesn't mean how we treat each other infact it means how we accept each other and how we react to each other.
If I try to say in very simple words then I would like to say that respect "The self respect" of others.
Just embrace other's feelings, emotions, thoughts, vision, believes , religions, their perception towards their life.
When we hurt someone , is like a broken mirror into some pieces ,still we have chance to pick a piece and use this like a mirror and we can decorate it by sone efforts. But when we hurt someone's self respect , it seems , a crushed mirror which have smallest pieces, now we can't use it again by any effort.
Every relation is beautiful, it depends on us how we design it. Every relation need their respected space . So respect each other and live happily